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गेहूं की सप्लाई

अब रूस देगा जरूरतमंद देशों को सस्ती कीमतों पर गेंहू, लेकिन पूरी करनी पड़ेगी यह शर्त

अब रूस देगा जरूरतमंद देशों को सस्ती कीमतों पर गेंहू, लेकिन पूरी करनी पड़ेगी यह शर्त

भारत बिना शर्त दे रहा है जरूरतमंद देशों को सस्ता गेंहू

नई दिल्ली। भारत पिछले 40 दिनों से जरूरतमंद देशों को बिना शर्त ही सस्ता गेंहू उपलब्ध करा रहा है, क्यूंकि इस साल 
गेंहू की कम पैदावार के चलते वैश्विक बाजार में गेंहू का भारी संकट है। रूस ने भी भारत की तरह जरूरतमंद देशों को सस्ता गेंहू देने की योजना बनाई है। लेकिन उसके लिए एक शर्त रखी है कि गेंहू खरीद का भुगतान केवल उसकी अपनी मुद्रा रूबल में ही करना होगा। इसके पीछे पहली वजह ये है कि प्रतिबंध की वजह से रूस डालर को रूबल से एक्सचेंज नहीं कर सकता है। दूसरी वजह है कि रूबल में भुगतान होने की सूरत में उसकी मुद्रा अधिक मजबूत होगी। इस तरह रूस ने वैश्विक बाजार में बड़ा पासा फेंक दिया है। रूस ने यह निर्णय अपने देश का निर्यात बढाने के लिए भी लिया है।

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यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के चलते रूस कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों की मार झेल रहा है। अब अपने गेंहू की नई पैदावार को नुकसान से बचाने के लिए रूस ने एक बड़ी योजना बनाई है। इस योजना के तहत उसने ग्रेन एक्‍सपोर्ट टैक्‍स को कम करने का फैसला किया है। इसका सीधा रूस से होने वाले गेहूं निर्यात पर पड़ेगा। रूस की मंशा भी यही है। यह भी बता दें कि रूस विश्‍व में गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है। कई जरूरतमंद देश रूस से ही अपनी गेहूं की जरूरत को पूरा भी करते हैं। लेकिन इस बार कहानी कुछ और है।

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टैक्स में भी किया है बदलाव

- टैक्स की नई दरें छह जुलाई से लागू हो जाएंगी। रूसी कृषि मंत्रालय के अनुसार इस गर्मी के मौसम में रूस में गेहूं की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है। इसके कारण निर्यात के लिए बड़ी मात्रा में गेहूं उपलब्ध रहेगा। रूस ने टैक्स घटाकर 4,600 रूबल (86 डालर) प्रति टन कर दिया है। रूस इसी टैक्स दर पर अपने परंपरागत ग्राहक पश्चिम एशिया और अफ्रीका के देशों को गेहूं की आपूर्ति करेगा।

दुनियाभर में गेहूं की सप्लाई करते हैं रूस और यूक्रेन

- रूस और यूक्रेन दुनियाभर में गेहूं की सप्लाई करते हैं। दोनों देश खाद्यान्न और खाद्य तेल समेत दूसरे खाद्य पदार्थों के बड़े निर्यातक हैं। दोनों देश यूरोप के 'ब्रेड बास्केट' (Breadbasket of Europe) कहे जाते हैं। दुनिया के बाजार में आने वाले गेहूं में 29 और मक्के में 19 फीसदी की हिस्सेदारी यूक्रेन और रूस की है। सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा उत्पादक यूक्रेन है। रूस का नंबर दूसरा है। एसएंडपी ग्लोबल प्लैट्स (S&P Global Platts) के मुताबिक दोनों मिल कर सूरजमुखी तेल के उत्पादन में 60 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं।लेकिन लड़ाई की वजह से कुछ फ्यूचर एक्सचेंजों में तो कमोडिटी के भाव 14 साल के शिखर पर पहुंच गए।
सरकार ने इन व्यापारियों को दी गेंहू निर्यात करने की अनुमति

सरकार ने इन व्यापारियों को दी गेंहू निर्यात करने की अनुमति

रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच जारी जंग से ग्लोबल मार्केट में गेंहू की सप्लाई प्रभावित

नई दिल्ली। इस साल गेंहू की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते भारत ने गत 14 मई को
गेंहू निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। उधर रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल मार्केट में गेंहू की सप्लाई को बुरी तरह प्रभावित किया है। करीब 2 माह बाद भारत सरकार गेंहू निर्यात को मंजूरी देने जा रही है। लेकिन इसके लिए कुछ नए नियम बनाए गए हैं। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय ने करीब 16 लाख टन गेंहू के निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को जारी कर दिया गया है। ये सर्टिफिकेट सिर्फ उन व्यापारियों को ही दिया जाएगा, जिनके पास लेटर ऑफ क्रेडिट होगा।

13 मई से पहले जारी हो चुके हैं लेटर ऑफ क्रेडिट

- सरकार गेंहू की उस खेप के निर्यात के लिए अनुमति देने जा रही है, जिनके लिए लेटर ऑफ क्रेडिट 13 मई या उससे पहले जारी किया गया था।

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रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी अनाज की कीमतों पर काबू पाने के लिए गेंहू की सप्लाई को बहुत बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। दोनों देश मिलकर वैश्विक गेंहू आपूर्ति का लगभग एक चौथाई हिस्सा पूरा करते हैं।

16 लाख टन गेंहू को मिली है मंजूरी

- वैध लेटर ऑफ क्रेडिट वाले निर्यातकों को अपनी खेप भेजने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा। इसके बाद उन्हें गेंहू के एक्सपोर्ट के लिए मंजूरी दे दी जाएगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय के क्षेत्रीय अधिकारी निर्यातकों को आरसी भी जारी करेंगे। अब तक 16 लाख टन गेंहू के निर्यात के लिए आरसी जारी कर दी गई है। रूस ने तुर्की के माध्यम से गेंहू का निर्यात शुरू कर दिया है। वैश्विक बाजार में अब गेंहू की कीमतें स्थिर हो सकती हैं।

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भारत में 14 फीसदी गेहूं का उत्पादन

- भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत ने 2020 में दुनिया के कुल उत्पादन में लगभग 14 फीसदी योगदान किया था। भारत सालाना लगभग 107.59 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन होता है। लेकिन इसका एक बड़ा भाग घरेलू खपत में जाता है। भारत में प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और गुजरात हैं।

पिछले साल 70 लाख टन गेंहू का हुआ था निर्यात

- अन्य देशों की तुलना में भारतीय गेहूं की बेहतर मांग होने के कारण 2021-22 में भारत ने 70 लाख टन गेहूं का निर्यात हुआ था। इसकी कीमत करीब 2.05 बिलियन अमरीकी डॉलर के आस-पास थी। पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50% शिपमेंट बांग्लादेश को भेजा जा चुका था। 2020-21 में भारतीय गेहूं का सबसे अधिक आयात करने वाले देश बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, नेपाल, यमन और अफगानिस्तान आदि देश शामिल रहे थे। ------ लोकेन्द्र नरवार